GOVERNMENT OF INDIA
MINISTRY OF FINANCE
RAJYA SABHA
QUESTION NO 241 ANSWERED ON 26.04.2016
Requirement of growth in economy for sustaining the burden of wage increase
241 Shri A. K. Selvaraj
Will the Minister of FINANCE be pleased to satate :-
(a) whether it is a fact that India needs to grow by an additional 1-1.5 percentage points so that it can sustain the burden of wage increases and pass on more benefits to workers;
(b) if so, the details thereof;
(c) whether it is also a fact that there would be a burden of Rs. 1.02 lakh crore on account of implementation of the Seventh Pay Commission; and
(d) if so, the details thereof?
ANSWER
MINISTER OF STATE IN THE MINISTRY OF FINANCE (SHRI JAYANT SINHA)
(a) and (b): The Gross Value Added (GVA) at basic prices is the sum of compensation of employees including social contributions made by the employer (CE), operating Surplus and mixed income of the self-employed (OS/MI), consumption of fixed capital (CFC) and taxes net of subsidies on production. The share of compensation of employees stood at 33.6 per cent in the year 2014-15 (the latest year for which information is available), increasing from 32.9 per cent in 2012-13. Simultaneously, the growth rate of GVA at constant basic prices increased from 5.4 per cent in 2012-13 to 7.1 per cent in 2014-15.
Among the broad sectors, public administration & defence had the highest share of compensation of employees, i.e., 85.0 per cent of the GVA at basic prices, in 2014-15. Higher wages/compensation of employees may have an impact on private final consumption and hence on GDP growth. At the same time, higher wages in public administration & defence may place added demand on the budgetary resources of the Government. On account of this possible two-way relationship, it is difficult to exactly calculate the GDP growth required to sustain the higher wage bill.
(c) and (d): The Seventh Pay Commission, in its Report, has projected an additional financial implication on implementation of its recommendations, of Rs. 1,02,100 crore, which is about 0.7 per cent of the GDP at current market prices of Rs. 1,50,65,010 crore projected in the Budget 2016-17. The details are given below:
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(क) क्या यह सच है कि भारत को अतिरिक्त 1-1.5 प्रतिशत अंकों की बढ़ोतरी की आवश्यकता है ताकि यह वेतन वृद्धि के बोझ को उठा सके तथा कार्मिकों को और लाभ प्रदान कर सके;
(ख) यदि हां, तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है;
(ग) क्या यह भी सच है कि सातवें वेतन आयोग के क्रियान्वयन के कारण 1.02 लाख करोड़ रुपए का बोझ पड़ेगा; और
(घ) यदि हां, तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है?
उत्तर
वित्त मंत्रालय में राज्य मंत्री (श्री जयंत सिन्हाक)
(क) और (ख): आधार मूल्यों पर सकल मूल्य)वर्द्धन कर्मचारियों की मुआवजा राशि है। इसमें कर्मचारियों द्वारा किए गए सामाजिक अंशदान (सीई), स्वय रोजगार प्राप्ति (ओएस/एमआई) की अतिरिक्तय और मिश्रित आय को संचालित करना, नियत पूंजी की खपत (सीएफसी) और उत्पाकदन पर सब्सिरडी को घटाना शामिल है। कर्मचारियों की क्षतिपूर्ति का हिस्सार 2014-15 में 33.6 प्रतिशत हो गया (तात्काालिक वर्ष जिसकी सूचना उपलब्धो है), जबकि 2012-13 में यह 32.9 प्रतिशत था। इसी प्रकार स्थि्र आधार मूल्यों पर जीवीए की वृद्धि दर 2012-13 के 5.4 प्रतिशत से बढ़कर 2014-15 में 7.1 प्रतिशत हो गई।
2014-15 में बड़े सेक्टिरों में लोक प्रशासन और रक्षा क्षेत्रों के कर्मचारियों की क्षतिपूर्ति का हिस्सा4 अधिकतम रहा, जो आधार मूल्योंं पर जीवीए का 85.0 प्रतिशत था। कर्मचारियों के अधिकतम वेतन/क्षतिपूर्ति निजी अंतिम उपभोग पर प्रभाव डाल सकते हैं और साथ ही जीडीपी वृद्धि दर पर भी। साथ ही लोक प्रशासन और रक्षा अधिकतम वेतन हेतु सरकार के बजटीय संसाधनों से अतिरिक्त। निधि की मांग कर सकते हैं। इस संभावित दोहरे संबंध के कारण, अधिकतम भत्तेअ बिलों को पूरा करने की आवश्यंकता के लिए जीडीपी वृद्धि दर की सही गणना करना कठिन है।
(ग) और (घ): सातवें वेतन आयोग ने, अपनी रिपोर्ट में सिफारिशों के कार्यान्वकयन के लिए 1,02,100 करोड़ रुपये की अतिरिक्तग वित्तीअय व्यंवस्थाक का अनुमान लगाया है, जो बजट 2016-17 में अनुमानित 1,50,65,010 करोड़ रुपये के वर्तमान बजट मूल्यम पर जीडीपी का 0.7 प्रतिशत है। विवरण नीचे सारणी में दिया गया है।
Source: Rajya Sabha.nic.in